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मधुमेह की बीमारी को डायबिटीज और Sugar भी कहा जाता है। ये बीमारी अनुवाशिंक भी होती है
और खराब जीवनशैली के कारण भी होती है। मधुमेह के मरीजों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
क्योंकि मधुमेह (डायबिटीज)के मरीज का ब्लड शुगर लेवल का ना तो सामान्य से अधिक होना ठीक रहता है
और ना ही सामान्य से कम होना ठीक रहता है। ऐसे में इसकी जांच कर लेवल का पता लगाते रहना चाहिए ।
अगर मधुमेह (डायबिटीज)का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाए या फिर बहुत ज्यादा कम हो जाए,
तो दोनों ही स्थिति में मरीज की सेहत पर खतरा मंडराता है। ये दोनों ही स्थितियां जानलेवा मानी जाती हैं।
मधुमेह एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक रक्त शर्करा का उच्च स्तर होता है।
हमारे शरीर का तंत्र हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन को ग्लूकोज मे तब्दील कर देता है। ग्लूकोज रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है।
शरीर की कोशिकाएं रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को अवशोषित करती हैं। कोशिकाएं रक्त शर्करा का उपयोग ऊर्जा के लिए करती हैं।
इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा के स्तर और शरीर की कोशिकाओं में उनके अवशोषण को नियंत्रित करता है।
अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन करती हैं।
जब शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है या यदि इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है,
तो रक्त शर्करा का स्तर ऊंचा बना रहता है। जिससे कोशिकाओं में ग्लूकोज का अवशोषण भी कम होता है।
इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर लंबे समय तक बना रहता है। यह मधुमेह (डायबिटीज) है।
शुगर रोगी या मधुमेह (डायबिटीज) के लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं। बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है
कि उन्हें मधुमेह(डायबिटीज)है। यही वजह है की कई डायबिटीज के मरीज़ों को बाद मे पता चलता है की उन्हें डायबिटीज थी।
कई बार डायबिटीज के लक्षण आपको अस्वस्थ महसूस नहीं कराते हैं। जिसके कारण रोग का पता नहीं चलता है ।
कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं—
1.धुंधली दृष्टि होना, या धुंदला दिखना।
2.घाव धीरे धीरे भरते है,जब आप घाव देखते हैं जो धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण होता है।
3.त्वचा पर संक्रमण।
4.आप विशेष रूप से दिन में खाना खाने के बाद थकान महसूस करते हैं
5.खाने की आपकी इच्छा और बढ़ जाती है विशेष रूप से खाना खाने के बाद इच्छा और बढ़ जाना।
6.आपको बार-बार पेशाब करने का अनुभव होता है, अधिकतर रात के समय।
7.ज्यादा प्यास लगना।
8.अचानक वजन कम होना।
9.बार-बार संक्रमण हो जाना।
10.हाथ या पैर में सुन्नपन या झुनझुनी का महसूस होना।
11. शरीर में इंसुलिन की कमी।
12.परिवार में किसी व्यक्ति को पहले से डायबिटीज़ होना।
13. मनुष्य की बढ़ती उम्र।
14. शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल का ज्यादा होना।
15.एक्सरसाइज ना करने की आदत
16. शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन होना
17.हाई ब्लड प्रेशर होना।
18.खान-पान की ग़लत आदतें।
शुगर के दौरान आपका शरीर आमतौर पर निर्जलित हो जाता है। निर्जलीकरण में आपको बहुत प्यास लगती है।
रक्त में अतिरिक्त शुगर की उपस्थिति के कारण गुर्दे रक्त को साफ करने के लिए अधिक काम करने लगते हैं
और मूत्र के द्वारा अतिरिक्त शुगर को शरीर से बाहर निकालते हैं। इस कारण बार-बार पेशाब आता है।
अत्यधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना यह मधुमेह होने के प्रमुख लक्षण हैं।
कोशिकाओं में ग्लूकोज़ नही पहुंचने के कारण शरीर की ऊर्जा आपूर्ति पूरी तरह से नही हो पाती है
और मधुमेह का रोगी हमेशा थकान महसूस करता है और उसे जल्दी भूख लगने लगती है।
शुगर से पीड़ित दोनों पुरुषों और महिलाओं को हाथ और पैर की उंगलियों के बीच, गुप्तांगों के आसपास
और स्तन के नीचे यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है।
वजन में कमी, मतली और उल्टी, बाल गिरना, धुँधली दृष्टि, त्वचा का सूखापन या खुजली होना मधुमेह के कुछ अन्य लक्षण हैं।
डायबिटीज के सबसे मुख्य प्रकार हैं डायबिटीज टाइप 1, डायबिटीज टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज।
टाइप 1 डायबिटीज में आपका शरीर इन्सुलिन नहीं बना पाता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में मौजूद
उन कोशिकाओं को खत्म कर देती है जो इन्सुलिन बनाती हैं। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या आमतौर पर बच्चों
और युवाओं में देखी जाती है, हालांकि ये किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त
व्यक्ति को जीवित रहने के लिए रोजाना इन्सुलिन लेना पड़ता है।
टाइप 2 डायबिटीज में शरीर या तो इन्सुलिन बनाता नहीं है या उसका सही से उपयोग नहीं करता।
डायबटीज का ये प्रकार किसी भी उम्र में हो सकता है, बचपन में भी। हालांकि, ये ज्यादातर मध्यम
आयुवर्ग के लोगों या बूढ़े लोगों में देखी जाती है। मधुमेह(डायबिटीज) का ये प्रकार सबसे आम है।
कई महिलाओं को प्रेगनेंसी में डायबिटीज हो जाती है। ज्यादातर मामलों में, डिलीवरी के बाद ये डायबिटीज ठीक
हो जाती है। हालांकि, जेस्टेशनल डायबिटीज होने के बाद आपको टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
कभी-कभी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान टाइप 2 मधुमेह (डायबिटीज) भी हो जाती है।
डायबिटीज को नियंत्रित करके इससे संबंधित समस्याएं जैसे कि दिल का दौरा, स्ट्रोक, तंत्रिका और अंग
क्षति, अंधापन आदि को रोका जा सकता है। सरल जीवनशैली और आहार में परिवर्तन मधुमेह को काफ़ी
हद तक कम कर सकता है। मधुमेह एक बीमारी है जिसका वजन आपके स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि आपकी
जेबपर भी भारी होता है। मधुमेह रोगी दवाओं या इंजेक्शन को पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक
उपचारो का पालन करके वह दवाओं या इंजेक्शन की जरूरत को कम कर सकते हैं।
1.स्वस्थ आहार खाएं:-शुगर को कंट्रोल करने के लिए अपने आहार मैं सुधार करना सबसे अच्छा तरीका है।
आप अपने आहार में करेला, जौ, गेहूं, हल्दी, काली मिर्च, लहसुन, सन बीज, ब्लू बेरी और जामुन आदि शामिल करें।
सामान्य चावल के बजाए पके हुए चावल खाएं और कफ बढ़ाने वाले आहार (घी, दही, चावल, आलू आदि) से बचें।
हर सुबह हरी चाय या तुलसी की चाय का सेवन करें। खाली पेट ब्लूबेरी के पत्ते खाना शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को
कम करने के लिए बहुत अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है।
2.व्यायाम करें:-शुगर को रोकने के लिए शारीरिक व्यायाम करना सबसे अच्छे तरीकों में से एक है।
मधुमेह में एरोबिक्स, तैराकी, जिमनास्टिक और तेज चलना बहुत फायदेमंद होता है। आप हल्के व्यायामों के साथ
शुरूआत कर सकते हैं और धीरे धीरे इनकी तीव्रता बढ़ाएँ। जो रोगी इंसुलिन का सेवन करते हैं, उनको व्यायाम करने से
पहले अपने रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जाँच करवा लेनी चाहिए। चलना-फिरना डायबिटीज में बहुत आवश्यक है।
लंबे समय तक बैठे रहना आपकी हालत को ओर भी खराब कर सकता है। हर 90 मिनट के बाद थोड़ा सा चलें या कोई
भी चलने-फिरने वाले कार्य करें।
3.मोटापा कम करें:-मोटापा शुगर के लिए प्रमुख कारण है और मधुमेह से निपटने के लिए आपको पहले मोटापे का सामना
करना पड़ेगा। एक संतुलित आहार का पालन करें और वजन घटाने के व्यायाम नियमित रूप से करते रहें।
4.सिगरेट और शराब न पीएं तनाव से दूर रहे :-डायबिटीज में धूम्रपान और शराब पीने से बचें। यह कफ दोष को बढ़ाता है।
तनाव शुगर को बढ़ाता है इसलिए अपने आप को तनाव मुक्त रखें और खुश रहें।
5.पर्याप्त नींद लें:-अत्यधिक नींद और नींद की कमी भी आपकी हालत अधिक खराब कर सकती है।
यह आपके स्वास्थ्य को भी जोखिम में डाल सकती है। पर्याप्त नींद लें। रात में देर तक जागने और दिन के समय सोने से बचें।
मोटापा और डायबिटीज आज के समय की दो सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हैं. अस्त-व्यस्त जीवनशैली, गलत खानपान इसके प्रमुख कारण हैं लेकिन लाइफस्टाइल और भोजन की आदतों में सुधार करके हम इन समस्याओं से बच सकते हैं.
डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल बहुत बढ़ जाता है जिससे शरीर की इंसुलिन उत्पादन क्षमता प्रभावित होने लगती है. कई बार ऐसा भी होता है कि शरीर सक्रिय रूप से इंसुलिन का इस्तेमाल ही नहीं कर पाता हैं.
डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी तो ये है कि आप अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें और परहेज करें. इसके अलावा कई ऐसे घरेलू उपाय हैं जिनसे आप डायबिटीज को कंट्रोल करके एक सामान्य जीवन जी सकते हैं–
करेला हम लोग सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं। करेला शुगर मधुमेह (डायबिटीज) का एक बहुत अच्छा घरेलू दवाई है।करेले में एटी-डायबिटीक गुण पाया जाता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है । इसे शुगर का घरेलू इलाज माना जा सकता है।
उपयोग करने की विधि-
करेले को धोकर उसका जूस निकाल लें।
अब इसमें स्वादानुसार नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिला लें।
अब इस मिश्रण को पिएं।
इसका सेवन हर दूसरे दिन किया जा सकता है।
मेथी के बीज शुगर मधुमेह ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं ।गर्म पानी मे भिगोकर रखे गए मेथी दानों का उपयोग डायबिटीज के लिए उपयोगी हो सकता है।
उपयोग करने की विधि-
* दो चम्मच मेथी दाने में दो कप पानी मिलाएं।
* अब इसे ढककर रात भर के लिए छोड़ दें।
चाहें, तो गुनगुने पानी में भी मेथी को भिगो सकते हैं।
*अगले दिन पानी को छानकर खाली पेट पिएं।
*इसका सेवन हर रोज किया जा सकता है।
एलोवेरा जेल में लेक्टिन्स, मन्नान और एन्थ्राक्विनोन्स जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर मधुमेह (डायबिटीज)के स्तर को कंट्रोल करने का काम करते हैं। साथ ही पैनक्रियाज़ में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं की मरम्मत भी करता है।
उपयोग करने की विधि:-
*हर रोज दिन में एक से दो बार बिना चीनी के एलोवेरा जूस का सेवन करें।
*चाहें, तो किसी भी मेडिकल स्टोर से एलोवेरा के कैप्सूल भी ले सकते हैं।
लहसुन में प्रोटीन, फाइबर और कई तरह के मिनरल्स पाये जाते हैं। लहसुन में पाए जाने वाले ये पोषक तत्व शुगर मधुमेह(डायबिटीज)के लिए लहसुन को इतना उपयोगी बनाते हैं।
उपयोग करने की विधि:-
* रोज सुबह लहसुन की एक या दो कली का सेवन कर सकते हैं।
* अगर कच्चा लहसुन खाना पसंद नहीं, तो अपनी पसंदीदा सब्जी बनाने के समय उसमें थोड़ा लहसुन डाल सकते हैं।
अमरूद का फल एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन-सी, पोटेशियम और फाइबर से भी भरपूर होता है, ऐसे में इसके शरीर के लिए कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं। शुगर या मधुमेह (डायबिटीज)के अलावा हृदय रोगों के खतरे को कम करने में भी अमरूद के सेवन बहुत लाभकारी होता है होता है।
उपयोग करने की विधि:-
* हर रोज एक अमरूद का सेवन करें।
चाहें, तो अमरूद के छोटे टुकड़े करके नमक के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
नीम में हाइपोग्लाइसेमिक नामक तत्व पाया जाता है। हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। ऐसे में नीम का उपयोग न सिर्फ ब्लड शुगर को संतुलित कर सकता है बल्कि शुगर या मधुमेह (डायबिटीज) के जोखिम को भी कम कर सकता है।
उपयोग करने की विधि:-
* नीम के पत्तों को अच्छे से धोकर सुबह के समय खा सकते हैं।
* चाहें, तो एक चम्मच नीम के पेस्ट को पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पी भी सकते हैं।
दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ कई प्रकार के प्लांट बेस्ड कंपाउंड्स मौजूद होते हैं, जिससे शरीर को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। शुगर या मधुमेह (डायबिटीज) और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करने में भी इस औषधि के लाभ हो सकते हैं। आयुर्वेद में दालचीनी के सेवन को विशेष लाभकारी औषधि बताया गया है।
यदि इन सभी घरेलू उपाय करने के बावजूद भी आप का शुगर मधुमेह (डायबिटीज) लेवल कंट्रोल में नहीं है। तो आप घबराएं नहीं क्योंकि बाजार में बहुत सारी आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध है हैं जिनके द्वारा शुगर या मधुमेह (डायबिटीज) को कंट्रोल आसानी से किया जा सकता है। आपको बाजार में बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाएं मिल जाएंगी परंतु कुछ ही ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो आपके शुगर, मधुमेह (डायबिटीज) के लेवल को आसानी से कंट्रोल कर सकती हैं।
ऐसी ही एक आयुर्वेदिक दवा “काहन आयुर्वेदा” लेकर आया है आपके लिए “मधुअल्प” मधुअल्प शुगर या मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के लिए रामबाण इलाज है।
“मधुअल्प” शुद्ध जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाई गई आयुर्वेदिक दवा है। जिसकी मदद से शुगर लेवल पूरी तरह कंट्रोल में रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। दिल से संबंधित रोग दूर रहते हैं और आपको एक सामान्य जीवन जीने में मदद मिलती है। हर उम्र के व्यक्ति के लिए यह दवा पूरी तरह सुरक्षित है। इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है मधुअल्प। यह मधुमेह को नियंत्रित करता है। इसमें जामुन, त्रिफला आदि जड़ी-बूटियाँ होती हैं। मधुअल्प स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है और इसलिए आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने में सहायता करता है।
मधुअल्प आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई (विषमुक्त) करता है। इसमें एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है, जो न केवल आपके शरीर से हानिकारक मुक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करता है, बल्कि एंटीऑक्सीडेंट एंजाइमों पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है।
आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और आपको संक्रमण से दूर रखता है। यह प्राकृतिक हर्बल सामग्री का एक परीक्षण और शक्तिशाली सूत्रीकरण है। यह दुनिया भर में मधुमेह के प्रबंधन में बहुत मददगार रहा है। यह पाउडर, सिरप और कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है।
हाई ब्लड शुगर या मधुमेह (डायबिटीज) का प्रभावी समाधान:-हाई ब्लड शुगर या मधुमेह (डायबिटीज)को कंट्रोल करने के लिए “मधुअल्प” सुरक्षित और प्रभावशाली है
अनेक स्वास्थ्य लाभकारी:-“मधुअल्प”को नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर यह शुगर मधुमेह डायबिटीज को कंट्रोल करने के साथ-साथ हाई कोलेस्ट्रॉल मैं भी सुधार करता है, ब्लड में सुधार करता है तथा लीवर और आंतों को लंबे समय तक हेल्दी रखता है।
मधु अल्प को खरीदने के लिए आप किसी भी मेडिकल स्टोर पर जा सकते हैं।सभी मेडिकल स्टोर पर “मधुअल्प”उपलब्ध है। तथा किसी भी ऑनलाइन एप जैसे-अमेजॉन, फ्लिपकार्ट इत्यादि से भी ऑनलाइन ऑर्डर करके आप “मधुअल्प”और मंगा सकते हैं।
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