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आज के इस हिंदी आर्टिकल में हम जानेंगे कि पुरूषों में शुक्राणु कैसे बनते हैं? शुक्राणु की संख्या कितनी होनी चाहिए? वीर्य के कमी के कारण और वीर्य के कमी के लक्षण क्या हैं। लेकिन उससे पहले ये जानना अधिक जरूरी है कि शुक्राणु क्या है? शुक्राणु किसे कहते हैं? तो आइए जानते हैं..
शुक्राणु (Sperm) पुरूष के वीर्य (Semen) में पाया जाने वाला एक सेक्स कोशिका (Sex Cell) है, जिसे पुरुष सेक्स कोशिका (Male Sex Cells) कहते हैं। इन सेल्स का कार्य यह होता है कि ये महिला सेक्स कोशिका (Female Sex Cell) के साथ मिलकर एक नये जीव की उत्पत्ति का कार्य सम्पन्न करते हैं। संभोग के दौरान जब पुरूष चरम पर पहुंचकर स्खलित होता है, तो वीर्य के तरल रूप के साथ शुक्राणु भी बाहर निकल जाते हैं।
पुरूषों के शरीर में शुक्राणु उनके वृषण (Testis) में बनते हैं, जबकि महिलाओं में उनके अंडाशय के अंर्तगत अंडाणुओं का निर्माण होता है। जब पुरूष के कई शुक्राणुओं में से एक शुक्राणु, महिलाओं के कई अंडाणुओं में से किसी एक अंडाणु के साथ मिल जाता है, तो एक नये जीव (भ्रूण) का निर्माण होता है।
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अगर हम एक शुक्राणु के बनने की प्रक्रिया और इसके अंत का समय देखें, तो एक नये शुक्राणु के निर्माण में लगभग 2 से 3 महीने का समय लगता है। बता दें कि एक शुक्राणु की औसतन आयु पुरूष के शरीर में बस कुछ सप्ताह भर ही होती है।
आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि हर बार पुरूष में स्खलन क्रिया के दौरान लगभग 40 मिलियन याने कि 4 करोड़ के करीब शुक्राणु निष्कासित होते हैं। स्त्रियों में डिंबोत्सर्जन (Ovulation) को नियंत्रण करने वाले हॉर्मोन (Hormone), पुरूषों में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) उत्पादन की प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं।
पुरूषों के शरीर में जो शुक्राणु का निर्माण होता है, उसके लिए जिम्मेदार टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन होता है और शुक्राणु के बनने की प्रक्रिया पुरूषों के अंडकोष में आरम्भ होती है। अंडकोष में दो थैलियां होती हैं, जो हमेशा पुरूष-लिंग के नीचे लटकी हुई अवस्था में रहती हैं। वीर्यकोष शरीर से बाहर लटका रहता है, जिसका कारण यह है कि वे तापमान के लिए बहुत ही संवेदनशील (Sensitive) होते हैं। एक स्वस्थ शुक्राणु का सुरक्षित तरीके से निर्माण करने के लिए, उन्हें 34 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखना जरूरी है। यह पुरूषों की शरीर के सामान्य तापमान से करीब 4 डिग्री अधिक शीतल होता है।
शुक्राणु बनने के बाद, यह दोनों शुक्राणु के वीर्यकोषों के अधिवृषण में इकट्ठा हो जाता है। जानकारी के लिए बता दें, कि अधिवृषण 6 मीटर लंबी एक लच्छेदार नली (Tube) होती है। यहां पर शुक्राणु लगभग 15-20 दिनों तक संग्रहीत रहते है। अगर उन्हें बाहर संभोग या हस्तमैथुन द्वारा नहीं किया जाता है। जब पुरूष के अंदर यौन क्रिया करने के लिए उत्तेजना आती है, तब खुद-ब-खुद शुक्राणु, वीर्य के साथ मिल जाता है। वीर्य एक सफेद तरल (द्रव्य) होता है, जिसका निर्माण वीर्य पुटिकाओं और प्रोस्टेट ग्रंथि की मदद से किया जाता है।
पुरूषों में शुक्राणु कम होने के कारण, उनमें स्त्री को गभर्ववती करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसके बावजूद, बहुत से पुरुष जिनके शुक्राणु कम है, वे बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं।
पुरूषों में अगर वीर्य की कमी हो जाये, तो शुक्राणु की कमी भी स्वयं होने लगती है और वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा कम हो जाने से या फिर वीर्य का पतलापन (Virya Ka Patlapan) होने से पुरूषों की पिता बनने की संभावना (fertility) भी कम हो जाती है। अगर शुरूआती लक्षणों में ही वीर्य से जुड़ी समस्या को ठीक कर लिया याने कि वीर्य गाढ़ा करने के उपाय (Virya Gadha Karne Ke Upay) कर लिए जायें, तो समस्या की गंभीरता से बचा जा सकता है।
तो आइए जानते हैं ऐसे कौन से लक्षण हैं, जो दर्शाते हैं वीर्य की कमी होने लगी है…
कई शोधों से ज्ञात होता है, कि जो पुरूष नियमित रूप से व्यायाम व योगा करते हैं और वजन को नियंत्रण में रखते हैं। इसके अलावा भरपूर नींद लेते हैं, तो उनके शरीर में वीर्य की कमी दूर होती है और शुक्राणुओं की मात्रा में भी वृद्धि होती है।
वीर्य की कमी दूर करने के लिए और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आपको चाहिए कि धूम्रपान, तम्बाकू, शराब, ड्रग्स इत्यादि से पूरी तरह दूर रहें।
शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय में मेथी का सेवन करना यूजफुल होता है। आप अपनी अपने आहार में नियमित रूप से मेथी को शामिल कीजिए। इसके अतिरिक्त मेथी से बनी चीजों का अधिक सेवन करें।
अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी-बूटि है, जो कई प्रकार की यौन समस्याओं को दूर करने में बहुत प्रभावशाली होती है। शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए अश्वगंधा का चूर्ण लेकर इसे पानी या दूध के साथ सेवन करें।
पौरूष शक्ति बढ़ाने के लिए छुहारे का सेवन करना बहुत फायदेमंद साबित होता है। वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाने और वीर्य को गाढ़ा करने के लिए 2 से 3 छुहारों को एक गिलास दूध में खूब खौलाएं और बचा हुआ दूध पी जायें।