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जोड़ों का दर्द कैसे ठीक करें? (Jodo ka dard kaise thik kare?)

जोड़ों के दर्द का कारण और इलाज (Jodo ke dard ka karan or ilaj)

गठिया और जोड़ों का दर्द (jodo ka dard) एक ऐसी समस्या है,

जो सर्दियों के मौसम में और बढ़ भी ज्यादा जाती है।

पुरानी गुम चोट और घुटनों का दर्द भी अपने चरम पर पहुंच जाता है।

अगर आपके साथ भी यही समस्या है। यानि जोड़ों का दर्द आपको परेशान किये हुए है।

तो आइए जाते है। कि कौन से बदलाव आपको अपने जीवनचर्या में करने की जरूरत है।

आप यह हिंदी लेख KaahanAyurveda.com पर पढ़ रहे हैं..

ज्यादातर जोड़ों में दर्द की समस्या का प्रमुख कारण आर्थराइटिस (गठिया रोग) होता है।

जब सर्दियां आती हैं, तो ठंड बढ़ जाने के कारण जोड़ों की धमनियां (आर्टिरीज) सिकुड़ जाती हैं।

जिसके कारण जोड़़ों में खून का तापमान मंद पड़ जाता है और

धमनियों में खून का संचार सही प्रवाह से नहीं हो पाता है।

इसी के परिणास्वरूप जोड़ों में अकड़कन की समस्या होने लगती है।

जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।

जोड़ों के दर्द की समस्या किन्हें ज्यादा होने की संभावना?

Osteoarthritis Treatment - Kaahan Ayurveda

Osteoarthritis Treatment – Kaahan Ayurveda

ऐसे लोग जो पूर्व में ही गठिया रोग से ग्रस्त हैं, उन्हें ठंड के मौसम में अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।

यूं देखा जाये तो आर्थराइटिस के प्रकार है,

लेकिन जो लोक ऑस्टियो आर्थराइटिस (osteoarthritis),

रूमेटाइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis), गाउटी आर्थराइटिस (gouty arthritis),

ट्रॉमैटिक आर्थराइटिस (traumatic arthritis) और

स्पाइनल आर्थराइटिस (spinal arthritis) से ग्रस्त हैं,

ऐसे लोगों को सर्दियों की प्रारम्भ में ही सूजन और दर्द की शिकायत होने लगती है।

जुवेनाइल आर्थराइटिस (juvenile arthritis) के शिकार बच्चों में भी पीड़ा की शिकायत बढ़ जाती है।

साथ ही पुरानी व गुम चोट हो तो उस क्षेत्र में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है।

पहले के जमाने में जोड़ों के दर्द की समस्या बड़े-बुर्जुगों तक ही सीमित हुआ करती थी।

उम्र के अनुसार 50 के बाद ही यह समस्या लोगों को होती थी।

लेकिन आज वर्तमान में दर्द और सूजन की समस्या कम उम्र में ही देखने के मिल रही है।

जिसका मुख्य कारण गलत लाइफ स्टाइल और खराब जीवनशैली है।

इसके अलावा भी एक कारण और है जो कि निम्नलिखित है।

ऑस्टियो आर्थराइटिस

जोड़ों के दर्द का सबसे अहम कारण ऑस्टियो आर्थराइटिस होता है।

अगर आकलन किया जाये तो देश में सबसे अधिक लोग ऑस्टियो आर्थराइटिस के शिकार हैं।

इस समस्या में शरीर में जोड़ो वाले हिस्सों के मध्य कार्टिलेज घिसने लगती है।

विशेषकर 50 की उम्र पार करने के बाद ये समस्या अधिक देखने को मिलती है।

कार्टिलेज घिसने के कारण जोड़ों वाली हड्डियां आपस में रगड़ खाना शुरू कर देती हैं।

जिसके कारण ही जोड़ों में दर्द उठने लगता है। गुंजरते समय में धीरे-धीरे कार्टिलेज कम होता रहता है।

घिस-घिसकर कमजोर होने लगता है। एक समय ऐसा भी आता है कि

व्यक्ति उठने-बैठने, चलने-फिरने और सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में बेहद तकलीफ महसूस करने लगता है।

दरअसल ऑस्टियो आर्थराइटिस का प्रभाव विशेषकर जोड़ों पर ही अधिक होता है।

बचाव कैसे करें?

ऑस्टियो आर्थराइटिस के शिकार लोगों को चाहिए कि जैसे ही सर्दियों की शुरूआत हो,

अपने हड्डी रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें। उनसे उचित सलाह व उपचार प्राप्त करें।

डॉक्टर जो सलाह दें, दवायें बतायें, फिजियोथेरेपी या व्यायाम बतायें।

उनका अनुसरण अवश्य करें।

साथ ही हड्डियों को मजबूत व स्वस्थ रखने के लिए पोषणयुक्त आहार का अधिक से अधिक सेवन करें।

विशेषकर कैल्शियम वाले आहार ज्यादा सेवन करें।

अगर जोड़ों में दर्द बर्दाश्त के बाहर होने लगे,

तो आपको हड्डी रोग विशेषज्ञ दर्द निवारक दवायें व इंजेक्शन की सलाह भी दे सकते हैं।

रूमेटाइड आर्थराइटिस से ग्रस्त लोग रहें सावधान

यह एक प्रकार का खास गठिया रोग है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण क्या हैं, इस पर अभी मेडिकल रिसर्च चल रही है।

ऐसा नहीं है कि उम्र बढ़ गई है या कार्टिलेज कमजोर हो गया तो ही ये गठिया रोग होगा।

इस समस्या का उम्र और कार्टिलेज क्षीण होने से कोई संबंध नहीं है।

दरअसल इसका मुख्य कारण यह है कि इस रोग में बॉडी में इम्युन सिस्टम

अपनी ही बॉडी के विरूद्ध हमला कर देता है।

पहला हमला ही जोड़ों वाले हिस्से पर होता है। जिसके कारण ये समस्या पेश आने लगती है।

बचाव कैसे करें?

अगर समय रहते रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज ना कराया जाये, तो ये समस्या बढ़ जाती है।

व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामों को भी ठीक प्रकार से नहीं कर पात है।

जोड़ों की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और उनमें असहनीय दर्द होने लगता है।

फिर भी योग, एक्सरसाइज और योग की मदद से कुछ हद तक आराम प्राप्त होता है।

इस प्रकार का गठिया रोग पूरी तरह ठीक नहीं होता है।

लेकिन सही खानपान, अच्छी लाइफ स्टाइल और कुछ परहेज की मदद से

इसे बढ़ने से जरूर रोका जा सकता है।

इस गठिया रोग में आराम पाने के लिए चिकित्सक दर्द कम करने वाली दवाईयों की सलाह देते हैं।

रोग प्रतिरोधक में आई खराबी को ठीक करने के लिए इम्यूनोमॉडयूलेटर्स दिये जाते हैं।

अक्सर सर्दियों की शुरूआत में ही कई लोगों को जोड़ों वाले हिस्से में दर्द और सूजन की शिकायत शुरू हो जाती है।

इसलिए समय रहते अपने डॉक्टर से मिलें और उचित उपचार प्राप्त करें।

डॉक्टर द्वारा सुझाये गये खानपान में परहेजों का अनुसरण अवश्य करें।

जोड़ों के दर्द में क्या सावधनियां बरतें?

स्वयं डॉक्टर ना बनें

कई लोग खुद ही डॉक्टर बनकर अपनी तरफ से ही उपचार करने लगते हैं। जिसके कारण समस्या कम होने की बजाये और भी बढ़ जाती है। जोड़ों का दर्द कम करने के लिए चिकित्सक कभी-कभी इंट्रा आर्टिकुलर कॉर्टिकोस्टेरॉयड के इंजेक्शन लेने को कहते हैं। इसके फायदे और नुकसान दोनों होने की संभावना बनी रहती है। असहनीय पीड़ा व जोड़ टेढ़े होने पर चिकित्सक इंजेक्शन व स्टेरॉयड दवाईयों की सलाह दे सकते हैं। लेकिन आपको चिकित्सक की मौजूदगी में ही इसे लेना चाहिए। ऐसा ना करें कि आपको आराम मिल गया, तो अगली बार दर्द होने पर खुद से ही दवाईयां ले रहे हैं। अपना डॉक्टर खुद ना बनें। खुद से इलाज ना करें। डॉक्टर से ही इलाज प्राप्त करें।

सर्दी में विशेष ख्याल रखें

अक्सर लोग ठंड के मौसम पानी कम ही पीते हैं। लेकिन आपको पानी खूब पीना है। ठंड कितनी भी हो पानी और तरल पदार्थों का सेवन जरूर करना है। ताकि आपकी बॉडी हाइड्रेटेड रह सके। क्योंकि शरीर में पानी की कमी भी जोड़ों में दर्द का कारण बन जाता है। रक्त संचार भी पानी की कमी से प्रभावित पड़ जाता है।

हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह

समय-समय पर जोड़ों के दर्द की समस्या के लिए विशेषज्ञ से परामर्श करते रहें। ऐसा करने से जोड़ों में अकड़न और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षणों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। आपकी समस्या ज्यादा नहीं बढ़ेगी। आपको धीरे-धीरे आराम मिलना शुरू हो जायेगा। रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या में किसी अच्छे रूमेटोलॉजिस्ट से सम्पर्क अवश्य करें। उचित उपचार अवश्य प्राप्त करें।

जोड़ों के दर्द के लिए घरेलू इलाज (Jodo ke dard ke liye gharelu ilaj)

Home Remedies For Joint Pain - Kaahan Ayurveda

Home Remedies For Joint Pain – Kaahan Ayurveda

  • अदरक के तेल की मालिश जोड़ों में दर्द वाले हिस्से पर करने से जल्दी आराम मिलता है। क्योंकि अदरक में सूजन और दर्द को कम करने वाले औषधीय गुण होते हैं।
  • अगर जोड़ों पर जहां दर्द हो रहा हो, वहां गर्म या ठंडे पानी की पट्टियों से सेंकन की जाये, तो दर्द में बहुत आराम मिलता है। यदि सूजन अधिक हो तो साफ किसी कपड़े में बर्फ लपेट कर भी सेंकन की जा सकती है। इससे भी सूजन व दर्द में आराम मिलता है।
  • प्रभावित जगह पर तिल के तेल की मालिश नियमित करने से जोड़ों के दर्द में धीरे-धीरे आराम मिलने लगता है। चलने-फिरने में थोड़ी राहत मिलती है।
  • हल्दी एक ऐसी जड़ी-बूटि है जो कई प्रकार की समस्याओं में बेहद काम आती है। इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व जोड़ों में दर्द, सूजन को कम करने में बहुत सहायता करता है। हल्दी सेवन करने का तरीका ये है। एक चम्मच हल्दी को आधा चम्मच सौंठ पाउडर के साथ मिलायें। ये जो मिश्रण आपने तैयार किया है इसे एक कप पानी में डाल लें। फिर गैस पर रखकर 10 से 15 मिनट तक खूब उबालें। इस पानी को गुनगुना होने पर जोड़ों के दर्द वाले हिस्से पर 3 से 4 बार लगायें। आपको आराम मिलना शुरू हो जायेगा।
  • जिन लोगों को रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या है ऐसे लोगों के लिए तुलसी बेहद फायदेमंद औषधी हो सकती है। जोड़ों के दर्द के लिए तुलसी बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली मानी जाती है।
  • हड्डियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को और शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए विटामिन सी एक अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके लिए नींबू, पपीता और आंवला का सेवन करें।

जोड़ो में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज (Jodo me dard ka ayurvedic ilaj)

अजवाइन

लगभग हर घर की रसोई में पाया जाना वाला अजवाइन एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधी है। इसमें एंटी-इंफ्लमेटरी गुण पाये जाते हैं। इस गुण की मदद से जोड़ों के दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। अजवाइन में एनेस्थेटिक गुण भी मौजूद होते हैं, जो ठंड के मौसम में असहनीय दर्द में आराम पहुंचाने का काम करते हैं।

दशमूल

ये एक ऐसी जड़ी-बूटी है आपने आप में एक नहीं है। बल्कि 10 अन्य औषधीय जड़ी-बूटीयों के मिश्रण से मिलकर तैयार होती है। इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कर प्रकार की बिमारियों के इलाज में किया जाता है। इसमें शालपर्णी, बेरहटी जैसी प्राकृतिक और शुद्ध जड़ी-बूटीयां शामिल की जाती हैं। वात रोग को ठीक करने के लिए विशेष रूप से दशमूल का प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद औषधीय गुण जैसे एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और शामक गुण। जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाने में बहुत मददगार साबित होते हैं। दशमूल तेल और पाउडर दोनों रूप में मिलता है।

शल्लकी

शरीर में जोड़ वाले हिस्से कमजोर होने कारण भी दर्द होता है। शल्लकी नामक जड़ी-बूटी कमजोर जोड़ों को मजबूत बनाने में अपनी अहम भुमिका निभाता है। साथ दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। ऑस्टियो आर्थराइटिस के कारण उठने वाले दर्द और अकड़न को कम करने के लिए दशमूल का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। वात संबंधी रोगों में इसका इस्तेमाल अधिक होता है।

शतावरी

जोड़ों वाली हड्डियों के बीच चिकनाई कम या समाप्त होने पर ही जोड़ों में दर्द होने लगता है। इस चिकनाई को बनाये रखने में शतावरी जड़ी-बूटी बहुत काम आ सकती है। इस जड़ी-बूटी में चिकनाई प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं। रिसर्च में ऐसा देखा गया है कि शतावरी के इस्तेमाल से शरीर में सूजन उत्पन्न करने वाले रसायनों (जैसे कि TNF- अल्फा और IL-1B) को समाप्त करने में होता है।

अश्वगंधा

आयुर्वेद में अश्वगंधा जड़ी-बूटी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अधिकतर आयुर्वेदिक औषधीयों के निर्माण में अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जाता है। ये कई प्रकार के रोग में बहुत काम में लिया जाता है। इस औषधी इस्तेमाल मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में भी किया जाता है। गठिया की वजह से होने वाले दर्द और सूजन के इलाज में यह जड़ी-बूटी बेहद काम में आती है।

जोड़ों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? (Jodo ke dard ke liye ayurvedic dawa kon si hai?)

Jodo Ka Dard, Sujan, Gathiya, Kamjor Haddiyan, Kamjor Immunity, Haddiyon Ki Marammat Ke Liye Ayurveeic Syrup - JODOSIL

Jodo Ka Dard, Sujan, Gathiya, Kamjor Haddiyan, Kamjor Immunity, Haddiyon Ki Marammat Ke Liye Ayurveeic Syrup – JODOSIL

आप जोड़ों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक टॉनिक जोड़ोसिल (JODOSIL) का सेवन करें। यह पूरी तरह हर्बल टॉनिक (Herbal Tonic) है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। हर प्रकार के जोड़ों के दर्द व सूजन में प्रभावशाली टॉनिक है।

जोड़ोसिल की विशेषताएं (Features of jodosil)

  • जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करता है।
  • हर प्रकार के जोड़ों के दर्द (कमर, कंधे, कोहनी, कलाईयां, टखने, गर्दन आदि) में प्रभावशाली है।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • टूटी हड्डियों की मरम्मत करता है।
  • हड्डियों व शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
  • जोड़ों वाले हड्डियों के बीच की ग्रीस का निर्माण करने में मदद करता है।
  • हड्डियों में लचीलापन बनाये रखने में सहायता करता है।

यह भी पढ़ें- Vajan Badhane Ka Ayurvedic Nuskkha

इस हर्बल टॉनिक (JodoSil) को कैसे खरीदें? (How to buy jodosil?)

आप इसे Amazon और Flipkart से खरीद सकते हैं। साथ ही KaahanAyurveda.com को लॉग-ऑन करके भी इस दवा को ऑर्डर कर सकते हैं। या फ्री हेल्पलाइन नं0 9999664344 पर कॉल करके या व्हाट्अप करके भी जोड़ोसिल को ऑर्डर कर सकते हैं। और घर बैठे दवा प्राप्त कर सकते हैं।

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