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जानें डायबिटीज कंट्रोल करने के घरेलू उपाय (Diabetes home remedies)

आज लगभग हर घर में ही डायबिटीज (diabetes) का शिकार कोई एक व्यक्ति मिल ही जाता है।

मधुमेह का उपचार कराने के साथ-साथ जीवन शैली भी लोगों की प्रभावित हो जाती है।

खानपान और जीवन शैली का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अन्यथा डायबिटीज के लक्षण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।

जीवन दूभर हो सकता है। इस हिंदी लेख में हम आपको डायबिटीज को नियंत्रित करने के घरेल उपायों के बारे में बतायेंगे।

लेकिन पहले जान लेते हैं मधमुह (डायबिटीज) क्या है?

डायबिटीज क्या है? (What is diabetes?)

एक गंभीर रोग है डायबिटीज (diabetes)।

जो शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन हार्मोन की कमी या उसके सही उपयोग की असमर्थता से होता है।

यह रोग खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण इंसुलिन हार्मोन के अस्तित्व में बाधा उत्पन्न करता है।

डायबिटीज के प्रमुख दो प्रकार होते हैं – प्रथम प्रकार के डायबिटीज और द्वितीय प्रकार के डायबिटीज।

प्रथम प्रकार का डायबिटीज ज्यादातर युवाओं और बच्चों में पाया जाता है,

जबकि द्वितीय प्रकार का डायबिटीज अधिकतर वयस्कों में होता है और यह इंसुलिन का सही उपयोग करने में शरीर की असमर्थता से संबंधित होता है

यद्यपि डायबिटीज एक गंभीर समस्या है, तो उसे सही तरीके से नियंत्रित करके और जीवनशैली में बदलाव करके इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।

इसलिए, सचेत रहना और डायबिटीज के नियंत्रण के लिए उपाय अपनाना महत्वपूर्ण होता है।

आप यह हिंदी लेख KaahanAyurveda.com पर पढ़ रहे हैं..

ये लक्षण हैं डायबिटीज के (Diabetes ke lakshan)

डायबिटीज के लक्षणों में कुछ आम लक्षण होते हैं, जो इसे पहचानने में मदद करते हैं।

अत्यधिक प्यास : डायबिटीज में, शरीर के अनियमित इंसुलिन स्तर के कारण व्यक्ति को अत्यधिक प्यास की भावना होती है। यह लक्षण अक्सर अत्यधिक मूत्राशय की भी वजह बनता है।

बार-बार मूत्र जाने की इच्छा : डायबिटीज के मामूली या उच्च शर्करा स्तर के कारण व्यक्ति को अधिक मूत्राशय की आवश्यकता होती है। यह लक्षण उनके दिनचर्या को प्रभावित करता है और दिन में बार-बार मूत्र जाने की इच्छा बढ़ाता है।

भूख की अधिकता : डायबिटीज में अक्सर अत्यधिक भूख की भावना होती है, जिसके कारण व्यक्ति का खाना-पीना बढ़ जाता है।

थकान : डायबिटीज के रोगी अक्सर थकान महसूस करते हैं, जो उनकी दिनचर्या और काम क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

त्वचा में सूखापन : डायबिटीज से प्रभावित व्यक्ति की त्वचा अत्यधिक सूखी और ड्राय हो सकती है।

गुदा की खुजली या सूजन : यह लक्षण महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित कर सकता है और डायबिटीज के रोगियों में गुदा क्षेत्र में खुजली या सूजन का अनुभव हो सकता है।

अन्य लक्षण : अन्य लक्षण शामिल हो सकते हैं जैसे कि अचानक वजन कमी, दृश्य की समस्याएं, बार-बार संक्रमण, घावों में देरी या भरने में कठिनाई, नींद की समस्याएं, चक्कर आना, या मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव।

यह सभी लक्षण डायबिटीज के विभिन्न प्रकारों में समान रूप से पाये जा सकते हैं, लेकिन ये लक्षण अन्य रोगों या समस्याओं से भी हो सकते हैं।

डायबिटीज के संदर्भ में, यदि ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना और जाँच करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

डायबिटीज के लक्षण कभी-कभी हल्के भी हो सकते हैं, जो व्यक्ति को अनदेखा करने पर भविष्य में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे मामलों में नियमित चेकअप्स और अच्छी जीवनशैली के पालन से संभावित रिस्क को कम किया जा सकता है।

डायबिटीज के कारण (Diabetes Ke Karan)

डायबिटीज के कई कारण हो सकते हैं, जो इंसुलिन के प्रोडक्शन में कमी या उसके सही उपयोग में बाधा डाल सकते हैं।

अनुवांशिक प्रभाव : जेनेटिक संकेतों के प्रभाव से कुछ लोगों को डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ सकता है। यदि किसी परिवार में पहले से ही डायबिटीज का संकेत होता है, तो उनके संबंधित जेनेटिक संकेत भी डायबिटीज के होने का कारण बन सकते हैं।

आहार और जीवनशैली : अनियमित आहार, ज्यादा चिंता, शारीरिक निष्क्रियता, और वजन की बढ़ती संख्या डायबिटीज के लिए महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं। जब खाना खाने के बाद शरीर इंसुलिन को सही तरीके से प्रबंधित नहीं कर पाता है, तो डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

वजन : अत्यधिक वजन, विशेष रूप से कमर और पेट के चारों ओर जमी चर्बी, डायबिटीज के लिए जोखिम बढ़ाती है।

गर्भावस्था : कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज हो जाता है। यह बच्चे की पैदाइश के बाद सामान्यतः समाप्त हो जाता है, लेकिन इससे बाद में डायबिटीज के होने की संभावना बढ़ जाती है।

संक्रमण या अन्य माध्यमों का प्रभाव : कई संक्रमण जैसे कि वायरल इन्फेक्शन भी डायबिटीज के कारण बन सकते हैं।

अन्य रोगों का प्रभाव : कुछ अन्य रोग जैसे कि प्री-डायबिटीज, पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम और अन्य अवस्थाएं भी डायबिटीज के लिए जोखिम बढ़ा सकती हैं।

ये कारण डायबिटीज के विभिन्न प्रकारों में भिन्नता दिखा सकते हैं, और हर व्यक्ति के लिए ये कारण भिन्न हो सकते हैं।

सामान्यतः, डायबिटीज एक संयोजनीय फल होता है, जिसमें जीनेटिक अंश और आहार, जीवनशैली, और वातावरणीय कारकों का संयोजन एक साथ कार्य करता है।

अगर किसी को डायबिटीज के संकेत मिलते हैं, तो उन्हें चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनकी स्थिति की जांच करवानी चाहिए।

सही दवाइयों, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ आहार के माध्यम से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।

क्या नहीं खाना चाहिए डायबिटीज में?

Diabetes Me Kya Na Khaye - Kaahan Ayurveda
Diabetes Me Kya Na Khaye – Kaahan Ayurveda

डायबिटीज में कुछ खाद्य पदार्थों को संयंत्रित रूप से सेवन करना चाहिए या कम से कम सेवन करना चाहिए।

ये खाद्य पदार्थ शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं या इंसुलिन के प्रभाव को प्रभावित कर सकते हैं।

इसलिए, डायबिटीज में निम्नलिखित चीजों का सेवन कम किया जाना चाहिए।

शर्करा

चीनी, शक्कर, गुड़, सिरप, और अन्य शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ शरीर के शर्करा स्तर को बढ़ा सकते हैं। शर्करा वाले ड्रिंक्स, सोडा, नमकीन, मिठाई, और फ़ास्ट फ़ूड्स से बचना चाहिए।

प्रोसेस्ड फ़ूड्स

बाजार में उपलब्ध प्रोसेस्ड फ़ूड्स और रेडी-मेड मिठाई, स्नैक्स, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज़, नमकीन, और बकरी के प्रोसेस्ड खाद्यान्नों का सेवन कम करना चाहिए। इनमें अधिक तेल, शर्करा, और वसा होता है जो शरीर के शर्करा स्तर को बढ़ा सकता है।

बेकरी प्रोडक्ट्स

मैदा से बनी चीजें जैसे कि कैक, कूकीज़, ब्रेड, पिज़्ज़ा, बिस्किट्स, और पास्ट्री आदि भी शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं।

तली हुई चीजें

तले हुए चीजें जैसे कि समोसे, पकोड़े, चिप्स, नमकीन, और फ़ास्ट फ़ूड्स भी डायबिटीज के रोगियों के लिए अधिक हानिकारक हो सकते हैं।

अधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थ

अधिक तेल, मांस, ग्लीज़, सोस, मक्खन, घी, और तली हुई चीजें शरीर के लिए अधिक होती हैं और इंसुलिन के प्रभाव को प्रभावित कर सकती हैं।

अधिक शर्करायुक्त फ़्रूट्स

बहुत ज्यादा मिठास वाले फ़ल जैसे कि सेब, अंगूर, चीकू, मैंगो और केला भी डायबिटीज के लिए अधिक बाध्य हो सकते हैं।

अल्कोहल

अल्कोहल भी शरीर के शर्करा स्तर को बढ़ा सकता है और इंसुलिन का प्रभाव को प्रभावित कर सकता है।

डायबिटीज में सख्ती से इन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए और स्वस्थ खाद्यान्न का सेवन करना चाहिए।

इसमें सब्जियां, फल, अनाज, अदरक, लहसुन, धनिया, नींबू पानी, दही, नूट्स, और प्रोटीन युक्त खाद्यान्न शामिल होते हैं

जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं। डायबिटीज में सही आहार चयन करना और डॉक्टर की सलाह पर चलना महत्वपूर्ण होता है।

शुगर कंट्रोल करने के घरेलू नुस्खे

डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे हो सकते हैं,

लेकिन इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

यहां कुछ घरेलू नुस्खे दिए गए हैं जो डायबिटीज के नियंत्रण में मदद कर सकते हैं।

करेला : करेले का रस पीना डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह इंसुलिन की उत्पत्ति को बढ़ावा देने में मदद करता है।

मेथी : मेथी दानों को रात भर पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट खाना चाहिए। मेथी का रस या मेथी के दानों का पानी पीना भी शुगर कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।

जामुन : जामुन के पत्तों को सूखाकर पाउडर बनाएं और इसे पानी के साथ मिलाकर पीना चाहिए। यह इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

आंवला : अमला शरीर के शर्करा स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। इसे जूस के रूप में, मुरब्बा या खाने के साथ लेना चाहिए।

नीम : नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

जीरा : जीरा का सेवन भी शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसे पानी में भिगोकर रात भर रखने के बाद सुबह खाली पेट पीना चाहिए।

तुलसी : तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना शर्करा को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।

ये नुस्खे सामान्यतः सहायक हो सकते हैं, लेकिन सही डोज़ और उपयोग के लिए डॉक्टर से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

इन्हें अपनाते समय अधिकतम सतर्कता और समय-समय पर चेकअप की आवश्यकता होती है।

डायबिटीज की बेस्ट आयुर्वेदिक दवा (Diabetes ki best ayurvedic medicine)

MadhuAlp - Diabetes Ayurvedic Medicine In Form of Powder, Syrup or Capsule
MadhuAlp – Diabetes Ayurvedic Medicine In Form of Powder, Syrup or Capsule

आयुर्वेद में डायबिटीज का उपचार संभव है। आयुर्वेदि जड़ी-बूटियों की मदद से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। आज बाजार में बहुत सी मधुमेह की आयुर्वेदिक दवा मौजूद है। ऐसे में किसी एक दवा का चुनना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। क्योंकि ये सब आयुर्वेदिक दवाएं शुगर को कंट्रोल करने का दावा करती हैं।

लेकिन फिर भी कई लोगों के बेहतर अनुभवों के आधार पर डायबिटीज की आयुर्वेदिक मेडिसिन ‘मधुअल्प’ का सेवन कर सकते हैं। ये औषधी सिरप, कैप्सूल और पाउडर तीनों फोरमेट में आती है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। ये तीनों रूपों में समान रूप से प्रभावशाली औषधी है।

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मधुअल्प ही क्यों? (Why madhualp?)

ब्ल्ड शुगर के लेवल को कंट्रोल करता है : मधुअल्प में मौजूद जड़ी-बूटियाँ, ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है। जिससे शुगर के मरीज को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।

इंसुलिन की कार्य क्षमता को बढ़ाता है : इस औषधी में मौजूद प्राकृतिक तत्व, इंसुलिन के निर्माण में सुधार करता है। जो शरीर द्वारा ग्लूकोज के बेहतर उपयोग में सहायता कर सकता है।

अग्न्याशय की हेल्थ को सपोर्ट करता है : मधुअल्प पाउडर में ऐसी जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं, जो अग्न्याशय के स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए जानी जाती हैं, जो इंसुलिन उत्पादन के लिए जिम्मेदार अंग है।

मधुमेह को कंट्रोल करता है : मधुआल्प का नियमित उपयोग मधुमेह को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य स्थिति से जुड़ी दिक्कतों के खतरे को कम करने में फायदेमंद हो सकता है।

नेचुरल और सेफ : एक शुद्ध आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के रूप में, मधुअल्प नेचुरल सामग्रियों से बना है। हानिकारक केमिकल्स से मुक्त है और लंबे समय के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है।

आयुर्वेदिक मधुअल्प को कहां से खरीदें?

आप इस प्रभावशली और भरोसेमंद मधुमेह की आयुर्वेदिक दवा मधुअल्प को फ्लिपकार्ट और अमेजन से खरीद सकते हैं। आप इसे और अच्छी सुविधा के साथ काहन आयुर्वेदा आयुर्वेदिक संस्थान में फ्री हेल्पलाइन नंबर 9999660867 पर कॉल या व्हाट्सप करके भी घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं।

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