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जिसे हम अपच भी कहते हैं। दरअसल वो ही बदहजमी (badhazmi) भी कहलाता है।
इसमें पेट के ऊपर भाग में एक प्रकार की बेचैनी सी महसूस होती है।
जब हमारा भोजन सही नहीं पचता। आंत में ही पड़ा सड़ता व चिपका रहता है।
तो पेट में बना हुआ एसिड डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करने लगता है।
जिसके कारण सीने में जलन, पेट में दर्द व सूजन की शिकायत होने लगती है।
जोकि बहुत ज्यादा परेशानी पैदा कर देता है।
आप यह हिंदी लेख KaahanAyurveda.com पर पढ़ रहे हैं..
आयुर्वेद में बदहजमी को भोजन से जुड़ी समस्या बताया गया है।
यूं तो अपच होने पर कोई गंभीर दिक्कतें पेश नहीं आती हैं।
लेकिन फिर भी ये कही न कहीं डेली रूटीन और लाइफ को प्रभावित कर सकता है।
लंबे समय तक इनडाइजेशन की प्रॉब्लम रहने की वजह से बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ऑफिस या बच्चों को स्कूल वगैरह में समय बिताना भी भारी पड़ सकता है।
Indigestion बदहजमी तब होती है, जब पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता।
जिससे पेट में असुविधा और अन्य लक्षण पैदा होते हैं।
इस कंडिशन के कई कारण हो सकते हैं।
जो व्यक्ति की लाइफ स्टाइल, डाइट और बॉडी कंडिशन पर निर्भर करते हैं।
अत्यधिक या तेजी से खाना :
खाना खाते समय अगर आप जल्दी-जल्दी खाते हैं।
तो पाचन तंत्र को सही से काम करने का समय नहीं मिलता।
जल्दी-जल्दी खाना खाने से भोजन को ठीक से चबाया नहीं जाता।
जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है और बदहजमी हो सकती है।
अत्यधिक तैलीय या मसालेदार भोजन :
बहुत ज्यादा तेलयुक्त या मसालेदार भोजन पेट के एसिड को बढ़ा सकते हैं।
जो पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
इस प्रकार के भोजन से पेट में जलन और गैस बनने की संभावना बढ़ जाती है,
जो बदहजमी का कारण बन सकती है।
अत्यधिक मिठाई और कैफीन :
अधिक मिठाई और कैफीन का सेवन भी बदहजमी का कारण हो सकता है।
ये पदार्थ पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकते हैं और पेट में समस्या पैदा कर सकते हैं।
गैस्ट्राइटिस :
ये पेट की परत की सूजन होती है। यह विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है।
जैसे कि बैक्टीरियल इंफेक्शन, लंबे समय तक दवाओं का सेवन।
बहुत ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन।
गैस्ट्राइटिस से पेट में दर्द, जलन और बदहजमी की समस्या हो सकती है।
अल्सर :
पेट में अल्सर (या गैस्ट्रिक अल्सर) भी बदहजमी का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
अल्सर एक खुला घाव होता है जो पेट की आंतरिक परत पर विकसित होता है।
इसके कारण पेट में दर्द, जलन और अन्य पाचन समस्याएँ हो सकती हैं।
इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम :
एक आम पाचन विकार है जो पेट में दर्द, सूजन, गैस और
दस्त या कब्ज की समस्याओं का कारण बन सकता है।
यह भी बदहजमी का एक कारण हो सकता है।
तनाव और चिंता :
अत्यधिक तनाव भी पाचन तंत्र पर खराब प्रभाव डाल सकते हैं।
जब आप मानसिक रूप से तनाव में होते हैं।
तो आपका शरीर पाचन तंत्र को ठीक से काम नहीं करने देता।
जिससे बदहजमी की समस्या हो सकती है।
नींद की कमी :
पूरी नींद ना लेना भी पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है।
अगर आप एक गहरी और पूरी नींद नहीं लेते हैं।
तो यह आपके शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
जिसमें पाचन तंत्र भी शामिल है।
असंतुलित आहार :
डाइट में फाइबर की कमी और ज्यादा फैट वाले खाद्य पदार्थों का
सेवन बदहजमी का कारण हो सकता है।
फाइबर की कमी से पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है
और पेट में गैस और सूजन हो सकती है।
आहार का ना खपना :
कुछ लोगों को खास खाने-पीने की चीजें नहीं खपती हैं।
जैसे कि डेयरी प्रोडक्ट, ग्लूटेन या विशेष प्रकार के फल और सब्जियाँ।
इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पाचन तंत्र में समस्याएँ पैदा हो सकती हैं और अपच हो सकती है।
शराब का सेवन :
ज्यादा अल्कोहल का सेवन पेट की परत को हानि पहुँचा सकता है।
जिससे इनडाइजेश की प्रॉब्लम हो सकती है।
धूम्रपान :
ज्यादा स्मोकिंग भी पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।
पेट में जलन और अन्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
इनडाइजेशन एक नॉर्मल प्रॉब्लम है।
इस बिमारी के शिकार लोगों में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं..
खानपान व लाइफ स्आइल में सुधार करके बदहजमी से बचा जा सकता है। नीचे कुछ उपाय दिये गये हैं..
छोटे-छोटे अंतराल में खाएं :
दिन में तीन बड़े भोजन की बजाय, छोटे-छोटे अंतराल पर हल्का खाना खाएं।
यह पाचन को आसान बनाता है और पेट पर ज्यादा भार नहीं डालता।
कम मसालेदार और तैलीय भोजन :
ज्यादा मसालेदार, तैलीय और भारी भोजन से पेट में जलन और गैस की समस्या बढ़ सकती है।
ऐसे में हल्का, सादा और कम मसाले वाला भोजन करना बेहतर होता है।
फाइबर युक्त आहार :
फल, सब्जियां, और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त
खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
ये खाद्य पदार्थ पाचन क्रिया को तेज करते हैं और कब्ज से राहत दिलाते हैं।
प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन :
मांस, मछली, अंडे, और दालों से प्राप्त प्रोटीन पाचन के लिए महत्वपूर्ण हैं,
लेकिन इनका अत्यधिक सेवन पेट पर भार डाल सकता है।
इसलिए, संतुलित मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें।
हम कैसे खाते हैं, इसका असर भी पाचन पर पड़ता है।
खाने का तरीका बदलकर बदहजमी से बचा जा सकता है।
धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाएं :
जल्दी-जल्दी खाना खाने से पाचन तंत्र पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे बदहजमी हो सकती है।
भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाने से पाचन बेहतर होता है और पेट पर कम दबाव पड़ता है।
खाना खाने के बाद आराम करें लेकिन लेटें नहीं :
खाना खाने के बाद थोड़ी देर तक सीधे बैठना या
हल्की सैर करना पाचन प्रक्रिया को सुचारु बनाता है।
खाना खाने के तुरंत बाद सोने या लेटने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है,
जिससे बदहजमी की संभावना बढ़ जाती है।
पानी पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाता है।
लेकिन पानी पीने का सही समय और मात्रा महत्वपूर्ण हैः
खाना खाने से पहले और बाद में पानी पिएं :
भोजन के दौरान अत्यधिक पानी पीने से पाचन रस पतले हो सकते हैं,
जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है।
इसलिए, खाना खाने के 30 मिनट पहले और 30 मिनट बाद पानी पिएं।
दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं :
पानी की कमी से पाचन तंत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
दिनभर में 8-10 गिलास पानी पिएं ताकि पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलती रहे।
नियमित शारीरिक गतिविधि पाचन तंत्र को सक्रिय रखती है और बदहजमी से बचाव करती हैः
रोजाना व्यायाम करें :
नियमित रूप से योग, चलना, साइक्लिंग, या जॉगिंग जैसे व्यायाम करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
इससे भोजन बेहतर तरीके से पचता है और बदहजमी की समस्या कम होती है।
खाने के बाद हल्की सैर :
भोजन करने के बाद हल्की सैर करने से पाचन क्रिया तेज होती है
और पेट में गैस या जलन जैसी समस्याएं नहीं होतीं।
यह तरीका बहुत प्रभावी माना जाता है।
चिंता का सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है।
जब हम तनाव में होते हैं, तो पाचन क्रिया धीमी हो जाती है,
जिससे बदहजमी की समस्या हो सकती है।
कुछ उपाय जो तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैंः
ध्यान और योग :
ध्यान, प्राणायाम और योगासन नियमित रूप से करने से
मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।
समय पर नींद लें “
उचित नींद पाचन तंत्र के सही कार्य के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें, ताकि शरीर और
मन दोनों स्वस्थ रहें और पाचन क्रिया सही ढंग से हो सके।
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
यह पेट में जलन और एसिडिटी का कारण बन सकता है।
इसलिए, बदहजमी से बचने के लिए इनसे दूरी बनाए रखना जरूरी है।
अगर पूरी तरह से छोड़ना मुश्किल हो, तो कम से कम इनका सेवन सीमित करें।
समय पर खाना खाएं :
अनियमित भोजन के समय से पाचन तंत्र प्रभावित होता है।
नियमित रूप से नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना सही समय पर लें।
देर रात का खाना खाने से बदहजमी की संभावना बढ़ जाती है,
इसलिए सोने से 2-3 घंटे पहले भोजन करें।
हल्का रात का खाना :
रात का भोजन हल्का और आसानी से पचने वाला होना चाहिए।
रात में भारी भोजन करने से पेट में असुविधा हो सकती है।
बदहजमी से राहत पाने के लिए कई घरेलू उपाय भी कारगर हो सकते हैं..
अदरक पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता है।
आप अदरक की चाय पी सकते हैं या खाने में अदरक का उपयोग कर सकते हैं।
जीरा पेट की गैस और बदहजमी को कम करने में सहायक है।
इसे पानी में उबालकर पीने से पाचन तंत्र ठीक रहता है।हींग
पाचन क्रिया को सुधारने में हींग का उपयोग लाभकारी होता है।
इसे पानी में घोलकर या खाने में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
पुदीना
पुदीने का सेवन पेट की समस्याओं में राहत देता है।
पुदीने की पत्तियों को चबाने या पुदीने की चाय पीने से बदहजमी में आराम मिलता है।
हींग का उपयोग पाचन क्रिया को सुधारने में लाभकारी होता है।
इसे पानी में घोलकर या खाने में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
अगर लंबे समय से आपको पेट में दर्द। अपच और गैस की समस्या रहने लगी है।
पेट में दर्द भी तेज होता है। लगभग रोज ही खाना सही से नहीं पच रहा है।
इस कंडिशन में आपको जल्दी डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए।